2025 बिहार चुनाव में जातीय कारक का अहम भूमिका रहेगी। जातिगत समीकरण बिहार की राजनीति की हमेशा से सबसे निर्णायक ताकत मानी जाती रही है।

जातीय समीकरण का महत्व

  • बिहार की कुल आबादी में यादव समुदाय लगभग 14.3% है, जो राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का प्रमुख वोट बैंक है। यादव वोट बैंक के साथ मुस्लिम वोट बैंक का गठजोड़ (‘M-Y समीकरण’) बिहार की राजनीति में निर्णायक बना हुआ है। इस गठजोड़ ने दशकों तक सत्ता का गणित प्रभावित किया है।

  • सवर्ण जातियों जैसे राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण और कायस्थ बिहार की राजनीति में बीजेपी के स्थायी वोट बैंक हैं। 2025 में बीजेपी ने कुल 71 सीटों में से 34 सीटें सवर्ण उम्मीदवारों को दी हैं, जिसमें राजपूत को 15, भूमिहार को 11, ब्राह्मण को 7 और कायस्थ को 1 सीट मिली है। यह दिखाता है कि बीजेपी ने अपने परंपरागत वोट बैंक को मजबूत करने पर ध्यान दिया है।

  • दूसरी ओर, अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और महादलित समूह भी बड़े और बिखरे हुए वोट समूह होने के कारण सभी पार्टियों के लिए चुनाव जीतने में निर्णायक होते हैं। इन वर्गों को साधना सफलता का महत्वपूर्ण मंत्र माना जाता है।

  • सीटों के आवंटन और उम्मीदवार चयन में जाति समीकरण का गहरा प्रभाव रहता है। कई क्षेत्रीय और लोकल मुद्दों के साथ जातिगत समीकरण चुनाव के नतीजे तय करते हैं। हर सीट पर अलग-अलग जातीय समूहों की संख्या और प्रभाव निर्णायक भूमिका निभाता है।

2025 के ट्रेंड्स और बदलाव

  • इस बार नौजवानों की प्राथमिकताएं जैसे रोजगार, शिक्षा, बेरोजगारी, महिला सशक्तिकरण, मुफ्त बिजली, महिला रोजगार योजना आदि मुद्दे भी मतदाताओं के बीच मुख्य चर्चा का विषय हैं, लेकिन जातीय समीकरण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

  • राजनीतिक दल उम्मीदवार चयन करते समय जातीय समीकरणों को बहुत महत्व दे रहे हैं ताकि वे स्थानीय वोट बैंक को अधिकतम कर सकें और तालमेल बना सकें।

  • दो चरणों में चुनाव होंगे: 6 नवंबर और 11 नवंबर वोटिंग, और 14 नवंबर को मतगणना। इस चुनाव में चुनावी रणनीतियों का आधार जातीय समीकरण रुख तय करेगा।

संक्षेप में

2025 बिहार चुनाव में जातीय समीकरण सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यादव-मुस्लिम गठजोड़, सवर्ण वोट बैंक, और अति पिछड़े व महादलित वर्गों के वोट पर पार्टियों की जीत-हार निर्भर होगी। साथ ही स्थानीय मुद्दे और युवा मतदाताओं की मांगें भी चुनाव के परिणामों को प्रभावित करेंगी। इसलिए जातीय गणित के साथ-साथ विकास और रोजगार जैसे मुद्दों को मिलाकर चुनावी रणनीति बनाई जा रही है.

By Chandan

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